बालाजी मन्दिर का इतिहास
सागर शहर से लगा हुआ “धर्मश्री” नामक स्थान है, जो कि मुख्य शहर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर है । इस स्थान से लगी हुई एक पावन पवित्र मनोहारी सुन्दर पहाड़ी पर श्री मंशापूरन बालाजी का दरबार है । इस स्थान पर दरबार निर्माण की प्रकाश चन्द्र साहू (रामदास) को 10 मई 1999 को श्री बालाजी ने स्वयं उनके शरीर पर सवारी रूप में आकर इसी स्थान पर आज्ञा दी थी कि “इस स्थान पर तुम्हें मेरे दरबार का निर्माण कराना है । यहाँ मैं अपनी सम्पूर्ण कलाओं एवं शक्तियों के साथ में विराजमान होऊँगा एवं समस्त मानव जाति के दुख – दर्दों, कष्टों, ऊपरी बाधाओं(भूत प्रेत इत्यादि) एवं समस्याओं का निराकरण कर उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करूँगा । इसी के अनुरूप मैं यहाँ “श्री मंशापूरन बालाजी” के नाम से दरबार लगाऊँगा । यह दरबार मेरे मेंहदीपुर बालाजी (राजस्थान) के दरबार जैसा ही दिव्य, भव्य, चमत्कारी एवं विशाल होगा । प्रारम्भ में मन्दिर निर्माण हेतु 5 एकड़ भूमि प्रकाश चन्द्र साहू के परिवार वालों द्वारा दान में दी गई । बाद में परिवार एवं भक्तों के सहयोग से 14 एकड़ भूमि की व्यवस्था की गई । श्री बालाजी की प्रेरणानुसार प्रकाश चन्द्र साहू के पिता श्री हुकुमचन्द साहू ने मंदिरों के निर्माण हेतु एक सार्वजनिक ट्रस्ट “श्री मंशापूरन बालाजी मन्दिर ट्रस्ट” धर्मश्री सागर (म.प्र.) के नाम से मानव सेवा एवं लोक कल्याण से बनाया हेतु बनाया । मंदिरों के निर्माण हेतु 19 जुलाई 2000 को श्री श्री 108 महंत श्री नृत्य गोपाल दास जी महाराज (अयोध्या वालों) के सानिध्य में भूमि पूजन सम्पन्न ।श्री बालाजी की विशेष प्रेरणा एवं आदेश से 1 अगस्त 2000 दिन मंगलवार को श्री प्रकाश चन्द्र साहू (रामदास) ने घाटा मेंहदीपुर बालाजी (राजस्थान) के तीनों देवता 1. श्री बालाजी महाराज 2. श्री भैरव बाबा 3. श्री प्रेतराज सरकार एवं रानगिर की श्री हरसिद्धि माँ का आह्वान कर उन्हें एक चबूतरे पर बगैर मूर्तियों के स्थापित किया । इस चबूतरे पर सभी देव अपनी समस्त कलाओं एवं शक्तियों के साथ सशरीर विराजमान हुये ।
बालाजी मन्दिर
श्री बाला जी मंदिर में सभी लोगों के कार्य स्वयं भगवान (श्री बाला जी महराज) के द्वारा बनायें जाते हैं। यहां पर किसी भी माध्यम (व्यक्ति विशेष) की आवष्यकता नहीं है। भक्तों को सीधें श्री बाला जी से प्रार्थना करना है अर्जी लगाना है इस पर स्वयं श्री बाला जी भक्तों की समस्यों का निदान करते हैं। सभी प्रकार के असाध्य शारीरिक रोग मानसिक रोग एवं ऊपरी बाधाओं (भूत प्रेत की परेशानी) व मानव जीवन की सभी समस्याओं जैसे नौकरी न लगना महिलाओं के यहां बच्चों का न होना(गोदी भरना) शादी-विवाह का न होना, दुकान वाहन आदि का ठीक तरह से नही चलना मिर्गी आना डरावने सपने आना डर लगना आदि समस्याओं का निदान श्री बालाजी मंदिर पर होता है। मंदिर पर सच्चे मन से पूर्ण श्रद्धा एवं विष्वास प्रर्थना करने पर भक्तों की समस्याओं का निदान होता है। इसके के लिए दर्खास्त अर्जी के माध्यम से प्रार्थना करने पर समस्याओं का शीघ्र निदान होता है जैसा कि श्री मेंहदी पुर बाला जी राजस्थान में होता है। श्री मंशा पूरन बाला जी मंदिर का एक मात्र उद्देष्य” मानव की सेवा करना हैं। मानव के सभी प्रकार के दुखों कष्टों को दूर कर सुख शांति समृद्धि प्रदान कर भक्ति भाव को बढ़ाना है। मंदिर से भभूत जल, राई, तावीज, काला धागा सरसो का तेल इत्यादि सामग्री नि: शूल्क प्रदान की जाती है। भक्तों की कार्य सिद्धि रक्षा एवं शांति के लिए यह मंदिर किसी भी प्रकार अंध विश्वास एवं रूढ़ी वादिता को बढ़ावा नही देता हैं। क्योकि श्री बाला जी मंदिर में सभी लोगों के कार्य तंत्र मंत्र या झाड़ फूँक के द्वारा नहीं बल्कि ‘‘श्री राम नाम की शक्ति" से बनते है। जो कि स्वयं भगवान (श्री बालाजी महाराज के द्वारा बनायें जाते हैं किसी मानव के द्वारा नहीं) श्री बालाजी मंदिर में 6 मई 2000 से ‘‘सीताराम जय सीताराम’’ का अखण्ड कीर्तन चैबीसो घण्टें चल रहा है इसी कीर्तन की भक्ति से प्रभाव से ही सभी श्क्तों की समस्याओं का शीघ्र निदान हो रहा है। क्योंकि "राम" नाम में अपार बल है शक्ति है- "राम कृपा कछु दुर्लभ नाहीं" यह कहावत श्री बालाजी मंदिर पर स्वयं सिद्ध है।
मन्दिर की मुख्य विशेषता
श्री बालाजी दरबार में सभी लोगों के कार्य तंत्र मंत्रों से नहीं, बल्कि "श्री राम नाम" की शक्ति से बनते है ।